
खुशी का GPS यहाँ है – सहिजन कलां गाँव में आपका स्वागत है!
मैं इन्दु पांडे हूँ, रेडियो की दुनिया में काम करने वाली एक मीडिया प्रोफेशनल। जब पूरी दुनिया टेंशन में है – आर्थिक तंगी , क्लाइमेट चेंज ,मेन्टल हेल्थ के मुद्दे – तब मैं अपने गाँव सहिजन कलां से एक अजीब सी खुशी की खबर लेकर आई हूँ।
द्वार तुम्हार सोना रूपा बनल रहे, ताकी हुमको काम मिलत रहे…
आज धान की बिजाई का आखिरी दिन था। जब देवकी दीदी और उनकी साथी औरतें गीत गाते हुए हमारे घर आईं:
“द्वार तुम्हार सोना रूपा बनल रहे, ताकी हुमको काम मिलत रहे…
तो मुझे लगा जैसे मैं किसी और ही ग्रह पर हूँ। यहाँ लोग अभी भी खुश हैं। यहाँ उत्सव की जरूरत के लिए कोई मौका अलग से नहीं चाहिए। यहाँ काम खत्म होना भी एक उत्सव है।
मेरे शहरी श्रोता जो Google पर “how to be happy” ढूँडते हैं, उन्हें पता नहीं कि असली खुशी का GPS तो यहाँ है – सोनभद्र के छोटे से गाँव सहिजन कलां में।
यह सोनभद्र अजीब जगह है। यहाँ रिहंद बांध से निकलने वाली बिजली पूरे उत्तर भारत को रोशन करती है, कोयले की खदानों से ट्रक गुजरते हैं, लेकिन लोग अभी भी दीये जलाकर खुशी मनाते हैं। यहाँ कार्बन फुटप्रिंट कम है लेकिन खुशी का फुटप्रिंट इतना ज्यादा है कि शहरी लोग तरस जाएं।
सहिजन कलां की भी अपनी मुश्किलें और चिंताएं हैं, जिनसे सहिजन कलां में रहने वाले एक साथ निपट लेते हैं। यही तो इनकी खुशी का असली राज है – मुश्किलों को अकेले नहीं झेलना है, बल्कि मिलकर दूर करना है ।
ब्रेकिंग न्यूज़ यह है कि जब हमारी हर न्यूज़ में किसान = समस्या, तब यहाँ वो उत्सव कर रहे थे।
रेडियो की दुनिया में काम करते हुए मैं रोज़ाना सुनती हूँ #depression #anxiety #workstress, #relationshipissues। हमारे शोज़ में मेंटल हेल्थ काउंसलिंग होती है , करियर काउन्सलिंग होती है , मुझे लगता है शहरों में लोगों को कल्चरल काउंसलिंग की ज़रूरत है।
हमारा मीडिया हमेशा #subsidy, #loanwaiver, #farmerprotests की बात करता है। हमने यह नैरेटिव बना दिया है कि ग्रामीण भारत =कमियां और आपात स्थितियां । लेकिन आज जो मैं देख रही थी, वो तो उत्सव था , प्रकृति का रोज़गार का और कर्म से जुड़े रिश्तों का , जो शहरों से या तो गायब है या रस्म अदाएगी भर है।
लेकिन ये ब्रेकिंग न्यूज़ किसी मुख्य मीडिआ में क्यों नहीं दिखाई देती कि महीने भर की मेहनत के बाद, इन औरतों के चेहरे पर जो संतुष्टि है – वो किसी शहरी सक्सेस पार्टी से क्यों नदारत होती है ?मैं सोच रही हूँ कि आखिर शहरों में मैंने किसी लड़की या लड़के को अपने काम और मालिक के प्रति इतना कृतज्ञ क्यों नहीं देखा ? क्यों हमेशा उनके साथ शिकायतों की एक पोटली हमेशा लदी दिखी ?
हमारे एडिटोरियल मीटिंग में ये मुद्दा क्यों नहीं उठता कि भारत की 65% जनसंख्या के पास खुशी का कोई सीक्रेट फार्मूला है?
न्यूज़ ट्रस्ट इंडिया के मेरे दोस्तों ने कहा, “शहर तो बहुत लोग दिखा रहे, तुम गाँव दिखाओ तो बात बने।” और सच में, यहाँ की कहानी तो वायरल होनी चाहिए।सबसे बेहतरीन कॉन्सर्ट यहाँ मुफ्त में मिलता है – टिकट नहीं, सिर्फ दिल चाहिए ।
मेरे शहरी सुनने वालों को कैसे बताऊं कि दुनिया का सबसे बेहतरीन कॉन्सर्ट यहाँ मुफ्त में चल रहा है?
जो लोग BookMyShow पर महंगे टिकट बुक करते हैं, स्ट्रेस रिलीफ के मेडिटेशन ऐप डाउनलोड करते हैं, उन्हें पता नहीं कि यहाँ खेती का हर काम अपना अलग गीत लेकर आता है। बिजाई से कटाई तक, हर कदम , हर चरण का अपना अलग साउंड ट्रैकहै।
सबसे मज़े की बात कि, ये गीत बिना मोबाइल में लिरिक्स देखे, बिना रिहर्सल के, एक सुर में गाए जाते हैं। जैसे ये सदियों से इनके डी एन ए में कोडेड हों।
जब तरह तरह के ओ टी टी चैनलों पर कॉमेडी शोज़ देखकर लोग हंसने की कोशिश कर रहे हैं, तब यहाँ प्राकृतिक लाफ्टर थेरेपी चल रही है। बिना किसी ऑटो ट्यून के, यह शुद्ध और पूरी तरह से आर्गेनिक ख़ुशी है।बरसातों में हमारे यहाँ काजरी गायी नहीं खेली जाती है। मिर्ज़ापुर और सोनभद्र में मुकाबले होते हैं। यह भी एक उत्सव है।
यहाँ पंचमुखी गुफाओं में हजारों साल पुराने चित्र हैं – हमारे पुरखे भी यही कर रहे थे। वे भी नाच रहे थे, गा रहे थे, उत्सव कर रहे थे। यहाँ खुशी की परंपरा और रवायत है।
मैं अपने मोबाइल में गाँव की खुशियाँ सजाकर लायी हूँ ताकि आपको दिखा सकूं। देखिए और आइए कभी – कि खुल कर खुश होने के लिए पैसे नहीं, सिर्फ सही माहौल की जरूरत होती है।
जब पूरी दुनिया में एनज़ाइटी एपिडेमिक चल रहा है, मानसिक स्वास्थ्य का बाजा बजा हुआ है, तब यहाँ के लोग वर्क लाइफ बैलेंस का सबसे बढ़िया उदहारण दे रहे हैं। यहाँ काम भी उत्सव है और आराम भी ।
जी पी एस लोकेशन : ख़ुशी = ग्राम सहिजन कलां , जिला सोनभद्र
यहाँ कोई वेलनेस सेण्टर नहीं, लेकिन वैलनेस है। कोई थेरेपी सेशन नहीं, लेकिन हीलिंग है। कोई खुश रहने की कार्यशाला नहीं, लेकिन खुशी की युनिवर्सिटी है।
सबसे बड़ी ब्रेकिंग न्यूज़ यह है कि इस उथल पुथल से भरे संसार में भी कहीं लोग वाकई खुश हैं।
अगर कोई मेरा रेडियो का श्रोता यह पढ़ रहा है, तो जी पी एस नोट कर लें : ख़ुशी = 24.5746° N, 83.0236° E। यहाँ अभी भी उत्सव जारी है, दुनिया भर में बात बेबात हो रही इतनी हाय हाय के बावजूद भी।
सहिजन कलां में आपका स्वागत है – जहाँ खुशी का जी पी एस हमेशा एक्टिव रहता है।
खबरों के लिए लाइक सब्स्क्राइब करें न्यूज़ ट्रस्ट, यहीं देश के कोने कोने से गाँव आपसे मिलने आया करेगा क्योंकि www.newstrustindia.com प्रतिबद्ध है आपको आपसे यानी भारत से मिलवाने के लिए। और मैं, इन्दु पांडे, यहाँ इसी प्लेटफार्म पर ऐसा करती रहूंगी।
इंदु पांडे !